संवाद’ के 11 वां संस्करण का 15 नवंबर से जमशेदपुर में होगा शुभारंभ

 

– भारत के 168 जनजातियों के लगभग 2500 लोगों की मेजबानी करेगा

जमशेदपुर : भारत की जनजातीय पहचान के सबसे प्रमुख आयोजनों में से एक, ‘संवाद 2024’ का आयोजन 15 से 19 नवंबर तक शहर के बिस्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में होने जा रहा है। धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर शुरू होने वाले इस पांच दिवसीय महोत्सव में 32 जनजातियों के प्रतिनिधित्व में 351 नगाड़ों की गूंज के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। वहीं संवाद अगले दशक में कदम रखते हुए नए उत्साह के साथ अपना सफर जारी रखेगा। इस बार संवाद 2024 में कई नए प्रतिभागियों की भागीदारी देखी जाएगी और जो पिछले एक दशक से जुड़े नियमित प्रतिभागियों से प्रेरित हैं। इसी प्रेरणा से 40 नए होम कुक्स भी पहली बार इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे और जो लंबे समय से संवाद से जुड़े लोगों की यात्रा से प्रेरित होकर यहां पहुंचे हैं। इस बार 19 नए स्टॉल्स सजाए जाएंगे। जहां नई जनजातियों के कारीगर अपनी विशिष्ट कला, परंपराएं और संस्कृति को प्रस्तुत करेंगे। 99 नए जनजातीय उपचारक अब तक की यात्रा से प्रेरणा लेकर आने वाले दशक के लिए एक नई दिशा निर्धारित करेंगे। शाम के समय आप नेगी, हाजोंग, कोकणी और परजा जनजातियों की पहली प्रस्तुतियों का आनंद उठा सकेंगे, जो संवाद में पहली बार अपनी संस्कृति की झलक पेश करेंगे।
कुल 45 स्टॉल्स लगाए जाएंगे। जिनमें 28 जनजातियों के 117 कलाकारों द्वारा 31 जनजातीय कला रूपों का प्रदर्शन किया जाएगा। भारत की विविध जनजातियों की कला और हस्तशिल्प का स्वरूप यहां रोजमर्रा के हस्तनिर्मित उत्पादों में झलकेगा। घर की सजावट से लेकर परिधानों तक। इसके अलावा 31 स्टॉल्स जनजातीय उपचारकों द्वारा लगाए जाएंगे। जहां औषधीय पौधों के स्टॉल पर प्रदर्शन के माध्यम से जनजातीय चिकित्सा पद्धतियों का ज्ञान साझा किया जाएगा। वहीं 8 स्टॉल्स, जिनमें एक एक्सपीरियंस जोन भी शामिल होगा, में विभिन्न जनजातीय व्यंजनों का प्रदर्शन किया जाएगा। जहां आप भारत की विविध जनजातियों द्वारा प्रस्तुत व्यंजनों का स्वाद चख सकते हैं। एक विशेष आकर्षण ‘आतिथ्य क्षेत्र’ होगा। जहां औषधीय पौधों से बने लोकप्रिय व्यंजनों का फ्यूजन देखने को मिलेगा। इतना ही नहीं, 15 से 19 नवंबर तक संवाद के दौरान, आप जोमैटो ऐप पर ‘मेन्यू ऑफ द डे’ से अपने पसंदीदा व्यंजन पूरे दिन ऑर्डर भी कर सकते हैं। इस दौरान हमारे जनजातीय होम कुक्स कार्यशालाओं में भाग लेंगे। जहां वे खाद्य उद्योग में आगे की दिशा और पारंपरिक व्यंजनों को स्वास्थ्यवर्धक विकल्प के रूप में लोकप्रिय बनाने पर विचार-विमर्श करेंगे। 30 जनजातियों का प्रतिनिधित्व करते हुए 100 अनोखे व्यंजन हर दिन 15 से 19 नवंबर तक गोपाल मैदान में शाम 6 से 9 बजे तक प्रदर्शित किए जाएंगे। इस वर्ष संवाद के मंच से 30 अनूठी साहित्यिक, फिल्मी, कलात्मक और संगीत रचनाएं पहली बार उनके रचनाकारों द्वारा दुनिया के सामने प्रस्तुत की जाएंगी। ‘रिदम्स ऑफ द अर्थ’ समूह के 75 जनजातीय संगीतकार अपनी दूसरी एल्बम का अनावरण करेंगे, जिसे लद्दाख आधारित बैंड ‘दा शग्स’ का सहयोग प्राप्त होगा। अब तक की अपनी यात्रा में संवाद ने भारत की 705 अनुसूचित जनजातियों में से 253 जनजातियों को एक मंच पर लाकर उनकी प्रेरणादायक कहानियों और अनुभवों को साझा किया है। साथ ही जनजातीय पहचान की अभिव्यक्ति के लिए सुरक्षित और सशक्त मंच प्रदान किए हैं। वहीं हस्तशिल्प स्टॉल्स और जनजातीय भोजन के कियोस्क्स भारत की विविध जनजातियों की संगीतमय सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ सजाए गए हैं। जिससे प्रत्येक दर्शक जनजातीय संस्कृति की गहरी समझ और ज्ञान में डूबकर उसका अनुभव कर सके।

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